Friday, June 24, 2011

NASA to check air pollution from space

Washington: NASA has launched a new mission called DISCOVER-AQ to enhance the capability of its satellites to measure ground-level air quality from space.

As part of the mission two NASA research airplanes will fly over the

Baltimore-Washington region and northeast Maryland this summer to monitor ground-level air pollution.

DISCOVER-AQ stands for Deriving Information on Surface conditions from Column and Vertically Resolved Observations Relevant to Air Quality.

The campaign is one of the five Earth Venture classes of investigations selected last year as part of NASA’s Earth System Science Pathfinder program.

The new NASA field campaign will make measurements from aircraft in combination with ground-based observation sites to help scientists better understand how to observe ground-level pollution from space in the future.

[ “What we’re trying to do with DISCOVER-AQ is to fill the knowledge gap that limits our ability to monitor air pollution with satellites,” said James Crawford, the mission’s principal investigator at NASA’s Langley Research Center in Hampton, Va.

A fleet of Earth-observing satellites, called the Afternoon

Constellation or “A-train” will pass over the DISCOVER-AQ study area each day in the early afternoon.

The satellites’ data, especially from the Aqua and Aura spacecraft, will give scientists the opportunity to compare the view from space with that from the ground and aircraft.

“The A-Train satellites have been useful in giving us a broader view of air pollution than has ever been seen,” said Kenneth Pickering, DISCOVER-AQ’s project scientist at NASA’s Goddard Space Flight Center in Greenbelt, Md.

“DISCOVER-AQ will help interpret that data to improve air-quality analysis and regional air-quality models,” he added.

Initial test flights are planned for the week of June 27, with up to 14 science flights starting as early as July 1.

Google at the centre of antitrust probes: Source

New York: Google Inc found itself at the centre of multiple government investigations on Thursday into whether it is using its dominance in search advertising to scotch competition.

At least three state attorneys general have started antitrust investigations into Google, a source familiar with the matter said.

The source declined to elaborate on the details of the investigations by the attorneys general of California, Ohio and New York as they were still in the early stages.

The attorneys general investigation into Google was first reported by the Financial Times, citing people familiar with the investigations.

The news of the attorneys general investigation emerged on the same day the Wall Street Journal reported that the internet search giant is about to receive the civil equivalent of a subpoena from the U.S. Federal Trade Commission as part of a probe into the company's Internet search business.

The company, which dominates U.S. and global markets for search advertising, has been accused by competitors of favouring its own services over rivals in its search results.

Google, the world's No. 1 search engine, and the FTC declined to comment on the Journal report.

Google was not immediately available to comment on the attorneys general investigation. The attorneys general of California and New York declined comment while the attorney general of Ohio was not immediately available for comment.

The FTC plans to send the civil investigative demand with a request for more information, the civil equivalent of a subpoena, within five days, according to the Journal report.

U.S. antitrust regulators have been concerned about Google's dominance of the Web search industry, and it has been under investigation by the European Commission since last November.

Complaints has been filed with regulators on both sides of the Atlantic, many from Google rivals who specialize in vertical searches like price comparison websites, which are widely seen as a threat to Google's position as a key gateway to online information.

"The distraction that comes from a federal investigation should not be underestimated," Colin Gillis of BGC Partners said, noting that one of Google's best options to grow -- by moving into adjacent markets -- was being hampered by antitrust probes.

Gillis noted that the real cost of the FTC investigation was not financial. "The issue comes down to management distraction, that's a real cost," he said.

Google has been in a stock slump. The company's shares began the year a touch above $600, but are now below $500. Google shares closed at $480.2 on Thursday on the Nasdaq.

Google has weathered other antitrust setbacks. The company walked away from a search deal with Yahoo! Inc in 2008 when the Justice Department signalled it was prepared to challenge it.

A New York judge has said that a deal Google had made with publishers and authors to create a massive digital library was illegal, partially because it effectively gave Google the rights to books that are in copyright but whose authors cannot be found.

Sunday, January 16, 2011

सौभाग्य भी कई बार वेश बदलकर मिलता हैं

एक गांव में दो व्यक्ति रहते थे। वे सौभाग्य हेतु अपने गुरू के पास गये। गुरू तीर्थ यात्रा पर जा रहे थे। उन्होंने दोनों को अलग-अलग बुलाकर एक-एक चने का दाना दिया और कहा कि यह तुम्हारी तरक्की लायेगा। पहले व्यक्ति ने उस चने के दाने को एक चॉदी के डिब्बे में रख लिया और उसे हमेशा अपने पास रखता था। दूसरे व्यक्ति ने उस दाने को अपने बगान में गाड़ दिया। तीन दिनों में उस पर अंकुर आ गया। वह उसे पानी देने लगा। फिर चने के पौधे में ढेर सारे चने लगे जिन्हें वह बोता गया और धीरे-धीरे उसके चने की खेती बढ़ने लगी। अब उस व्यक्ति की रूची खेती में बहुत बढ़ गयी। वह ध्यान से फसल पर खाद पानी इत्यादि करने लगा।

5 साल बाद जब गुरू वापस लौटे तो पहला व्यक्ति उनसे मिला और बोला कि गुरू जी मैंने आपके आशीर्वाद को चांदी के डिब्बे में रखा परंतु मुझे अधिक लाभ नहीं मिला। गुरू जब दूसरे व्यक्ति के पास गया तो वह उन्हें एक गोदाम में ले गया जिसमें सैकड़ों चने के बोरे रखे हुए थे। वह उनके चरणों पर लोट गया।

गुरू, ईश्वर तथा कई बार हमारे उच्चाधिकारी हमें लाभ देने के लिए रास्ता तैयार करते हैं पर हम उनके इशारे समझ नहीं पाते और लाभ से वंचित रह जाते हैं । कई बार कोई इशारा भी नहीं होता हैं पर लाभ तय रहता हैं ।

पूना में अपनी पहली नौकरी हेतु मैं लगभग 7 कि.मी. कारेगांव पार्क से मुंडवा सायकल से जाता था। मेरे साथी व मुझसे एक वर्ष सीनियर इंजीनियर कंपनी की बस से आफिस पहुचते थे। 6 माह बाद कंपनी के मेकेनिकल सेक्शन से हमारे सिविल डिजाईन सेक्शन को एक स्कूटर एलाट हुआ। उस स्कूटर की हालत बहुत खस्ता थी। उस समय हमें साईट पर चेंकिग के लिए जाना पड़ता था तो हम कंपनी की जीप मांगकर जाते थे। हमारे बॉस ने समझाया के नियमित जाने वाले को ये स्कूटर काम आयेगा। मेरे सीनियरों ने मना कर दिया क्योंकि मेकेनिकल सेक्शन से उन्हें पता चला था कि हमारे सेक्शन को 3 मोटर सायकल मिलने वाली हैं । हमारे बैच वालों से हमारे बॉस ने जब स्कूटर का उपयोग साईट हेतु करने को कहा तब सबने मना कर दिया पर मैंने मना नहीं किया। कंपनी के खर्चे पर उस स्कूटर को सुधरवा कर मैं साईट पर आने-जाने लगा । स्कूटर से मुझे कई बार परेशानी भी हुई। मैं मन ही मन खुद को कोसता रहा। लगभग एक माह के बाद हमारे सेक्शन को एक मोटर सायकल मिली। हममें से सबसे सीनियर बहुत प्रसन्न हुये पर शाम को सबके सामने मुझको बुलाकर मेरे बॉस ने मोटर सायकल की चाबी दी और कहा की बड़े बॉस ने यह पहले से तय कर रखा था कि जो लड़का इस स्कूटर से आना-जाना करेगा उसे ही मोटर सायकल दी जायेगी। मेरे 6 सीनियरों को छोडकर मुझे वह बाइक मिली जो आगे मेरी तरक्की और सौभाग्य का कारण बनी।

जिंदगी मे बहुत बार परिस्थिति एवं प्रकृति के कारण हमारी 90% मेहनत का अलाभकारी परिणाम दिखने लगता हैं और हम हारकर उस कार्य को वहीं छोड़ देते हैं । कई बार कार्य पूर्ण करने पर भी हमें कोई लाभ न दिखता हैं , न मिलता हैं पर वही कार्य की पूर्णता आगे चलकर हमारी तरक्की का मार्ग प्रशस्त करती हैं ।

जिंदगी में चिंता छोड़ चिंतन करना शुरू करें

मैनें पढ़ा है, एक नब्बे वर्षीय महिला से किसी ने पूछा कि अगले जन्म में आप क्या बनना चाहेंगी और क्यों? उस महिला ने जवाब दिया, मैं अपनी जिंदगी में सफल रही, मेरी जिंदगी बहुत अच्छे से गुजरी और अगले जन्म भी यही स्वरूप लेकर पैदा होना चाहूंगी। कारण यह है कि मैनें इस जन्म में बहुत सी ऐसी चिंताये और डर पाले जो कभी घटित ही नहीं हुए या यूं कहें उनके घटने की सम्भावनाएं न्यूनतम थी। इन चिंताओं के कारण मैने अपनी जिंदगी में बहुत सी चीजों का मजा नही लिया, बहुत सी चीजें नही सीखी, मै अगले जन्म में और उन चीजों का सुख उठाना चाहता हूं। इस जन्म की कुछ चिंताये मुझे रहती थी कि यदि मै रोलर - कोष्टर में बैठूं तो मै गिर कर मर जाऊंगी, यदि मै कार चलाऊंगी तो किसी को दबा दूंगी। बेबुनियादी चिंता के कारण बहुत सी चीजों से मैं वंचित रही। कहीं ऐसा तो नही हम भी अपनी जिंदगी की ढलान पर जब पलटकर देखें तो हमें भी ऐसा न महसूस हो कि बेकार की चिंता में हमारे बहुत से सुनहरे पल हमसे छिंन लिये थे।

सचमुच, हम इतनी सारी चिंताये पाल लेते हैं कि हमें जिंदगी साफ नही दिखाई देती और हम खुलकर अपने कार्यो को गति नहीं दे पाते। हमारे सिर पर भय का बोझ, हमारी सोचने की क्षमता और कार्य की गतिशीलता बहुत कम कर देता है। मै अपनी जिंदगी में कुछ ऐसे लोगों से मिला हूं, जिनमें अपार क्षमताये थी साथ ही अपार शंकाये भी थी। वे अपनी क्षमता के अनुसार न व्यापार में ऊंचाई पर पहुंच पाये और न ही जिंदगी के मजे ले पाये। ठीक इसके विपरीत एक ऐसे व्यक्ति से मिला जो आत्मविश्वाश से सराबोर रहता था। बड़ी-बड़ी समस्याएं उसके सामने बौनी दिखाई देती थीं। वह व्यक्ति कम पढ़ा-लिखा होने के बावजूद बहुत सफल व्यापारी व संकट मोचन कहलाता है। बहुत से निराश लोग उसके पास जाते है और वह अपनी बातचीत और समझाईश से उनकी अनावश्यक चिंताओं को दूर कर परिस्थितियों का सामना करने की हिम्मत पैदा कर देता है।

हकीम लुक मान के बारे में कहा जाता था कि वे जब पहाड़ों-जंगलों में औषधी की जड़ी-बूटी लेने जाते थे तो वन औषधी उनसे कहती थी कि मुझे लेलो मै पेट दर्द के काम आऊंगी तो कोई औषधि पौधा कहता था कि मेरा उपयोग आंख की रोशनी तेज करने में कर सकते हो। कहने का मतलब यह है कि हर बीमारी के इलाज हेतु वे जंगल से जड़ी-बुटी ले आते थे परंतु चिंता की बीमारी का इलाज उन्हें भी नही मिला। यह कहावत बन गयी की चिंता का ईलाज हकीम लुक वान के पास भी नहीं था। हर आदमी को घबराना नही चाहिए उसे धीरज रखकर हल ढूंढना चाहिए। ऐसा करना कठिन जरूर है पर असम्भव नहीं धीरे-धीरे हम अपनी आदतों पर नियंत्रण कर सकते है।

हम पर जब विपत्ति आये, कोई समस्या आये, कोई नुकसान हो तो हमें चिंता करने की जगह चिंतन करना चाहिए, हमें परिस्थिति का सामना अच्छी तरह से करना चाहिए। चिंता एक तरह से आदमी की ताकत को निचोड़ती है जबकि चिंतन, शक्ति के सही दिशा में उपयोग का रास्ता बता सकता है इसलिए मैं सबसे अनुरोध पूर्वक कहता हूं

जिंदगी में चिंता छोड़ चिंतन करना शुरू करें।

Tuesday, March 31, 2009

''स्वंय को जाने - विशेषज्ञों (गुरू ) की मद्द लेने में परहेज न करें''

एक बार भगवान बुध्द अपने प्रिय शिष्य आनंद के साथ एक नगर के किनारे रूके। आनंद उस नगर का चक्कर लगाकर लौटे और अपने गुरू से बोले - प्रभु आप तो बहुत दयालु हैुं, इस नगर के लोग बहुत दुखी हैं, उन्हे धर्म ज्ञान देकर मोक्ष दिलायें। तब महात्मा बुध्द ने मुस्कुराते हुये कहा कि कल सुबह उस नगर मे जाकर वहां के लोगो से पूछना कि उन्हे क्या चाहिये ? तभी मैं उनकी मोक्ष प्राप्ति की मनोकामना पूरी कर सकूंगा। प्रसन्न चित आनंद, दूसरे दिन नगर में गया। सबसे पहले उसे एक बुढ़िया मिली। वह बहुत दुखी दिख रही थी। उसने बुढ़िया से कहा कि मेरे गुरू तुम्हारी मनोकामना पूरी कर सकते हैं, तुम्हे क्या चाहिये ? बुढ़िया ने कहा- मेरा बेटा पिछले हफ्ते मर गया है, भगवान उसे वापस ले आयें। आनंद को फिर एक दुखियारा, भगवान का नाम लेकर रोते हुये, आदमी मिला। आनंद ने उससे पूछा, उसे क्या चाहिये ? तब उसने कहा- आलस्य की आदत के कारण मेरी नौकरी चली गई। मुझे बहुत सारा धन मिल जाये ताकि मुझे नौकरी न करनी पड़े। आगे चलकर आनंद को बहुत संपन्न सेठ मिला, जिसके बाल बच्चे भी मजे मे थे। सेठ से पूछने पर उसने कहा कि मुझे कई बीमारियां हैं। प्रभु मेरी बीमारियां को दूर कर दें। फिर उसे एक बैरागी मिला। आनंद को ऐसा लगा कि यह जरूर मोक्ष मांगेगा। जब उससे भी वही सवाल किया तो बैरागी ने कहा मुझे मेरी प्रेमिका दिलावा दो, जिसके कारण मैने बैराग लिया हैं। सवाल पूछते- पूछते रात हो गई परन्तु एक भी आदमी ऐसा नही मिला जिसने मोक्ष की मांग की हो।

आज के जमाने मे लोगो की अलग-अलग इच्छाऐं होती हैं। बहुत से लोगो को अपनी इच्छाओं तथा उद्देश्य के बारे में भी गलतफहमी रहती हैं। अपनी अस्पष्टता को दूर करने के लिये वे किसी भी गुरू की सत्ता स्वीकार नही करते, जबकि यह करना गलत नही हैं। जिस तरह पढ़ाने के लिये अलग-अलग श्रेणी के विशेषज्ञ ( शिक्षक ) हो गये हैं। उसी तरह अलग-अलग समस्या को सुलझाने, चाहतो को पूरी करने के लिए अलग-अलग व्यक्ति विशेष की मदद ली जा सकती हैं। आज हम किसी कार्य के विशेषज्ञ हो, परम ज्ञानी और पढ़े लिखे हो तो जरूरी नही है कि दूसरे क्षेत्र में कोई अनपढ़ हमसे ज्यादा न जानता हो।

उदयपुर राजस्थान निवासी मेरे नाना श्री मोहन लाल सोनी जी बहुत विद्वान व बजाज ग्रुप के अति प्रभावशाली अधिकारी रहें थे। उनमें लोगों की समस्याऐं चुटकी में सुलझाने की काबिलियत थी। ओजस्वी वक्ता एवं सुदर्शन व्यक्तिव् के मालिक थे। उन्होने बताया था कि जिन्दगी में उन्होने अलग-अलग लोगो ( गुरूओं ) से अलग-अलग बातें सीखी व अपने आचरण में लाई।

मैं इंदौर इंजीनियरींग कालेज में पढ़ रहा था। अपने दोस्तो मे काफी पापुलर था पर निरंकुश एवं स्वच्छंद हो चला था। मेरे नाना ने तब बिठाकर मुझे समझाया कि पहले अपनी जिन्दगी के उद्देश्य को समझो, अपनी चाहत को पहचानों। उसके बाद उस दिशा में कठोर परिश्रम करों। यदि कैरम अच्छा खेलना सीखना चाहते हो तो पहले सीधी गोटी लेना सीखों फिर प्रेक्टिस से डबल एम, क्ट मारना, रिबाउंड खुद सीख जाओगें। उसके बाद अपना स्तर और बढ़ाना हो तो उस क्षेत्र में महारथ प्राप्त व्यक्ति की शरण में जाने से न चूके। अपने गुरूर में न रहें कि हमें सब कुछ आता हैं। मुझे यह बात अच्छी तरह से समझ मे आ गई। मुझे भी समय-समय पर अपने क्षेत्र मे विशेष लोगो का मार्गदर्शन मिला। मैने अंध श्रध्दा के साथ उनका अनुशरण किया और सफलता पाई। उन सब के बारे में एक-एक कर विस्तार से लिखूँगा।

आप अपनी चाहत अथवा आवश्यकता के अनूसार उस क्षेत्र के विशेषज्ञ की मद्द लेने का प्रयास जरूर करें। अपने अहम तथा कम जानकारी की शर्मिदगीं का भाव अपने ऊपर कभी हावी न होने दें। ''स्वंय को जाने - विशेषज्ञों (गुरू ) की मदद लेने में परहेज न करें''